दिल्ली: अक्टूबर- नवंबर के माहआते ही पंजाब- हरियाणा और दिल्ली से सटे इलाकों में धान की फसल काटने के बाद, गेहूं सरसों आदि फसल के लिए पराली को जला दिया जाता है। जिसके कारण हर साल दिल्ली और एनसीआर की वायु में काफी ज्यादा प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है । नवंबर से लेकर जनवरी तक ठंड और कोहरे के कारण दुषित हवा वहीं रुक जाती है और जिसके कारण वहां की हवा काफी लंबे समय तक दूषित रहती है।
दिल्ली वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वहां के वाहन और कारखानों से निकलने वाली धुएं भी जिम्मेदार है। और हर साल दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के बीच खींचातानी देखी जाती है। और हर साल एक राज्य सरकार दूसरे राज्य सरकार को इसका जिम्मेदार ठहरने में लगा रहता है।
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दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही दिए गए अपने एक साक्षात्कार में यह कहा कि दिल्ली वायु प्रदूषण का मुख्य जिम्मेदार पंजाब है। हमारे पास 15 सितंबर से लेकर 18 नवंबर तक के आंकड़े हैं। जिसमें पंजाब में 96 00 मामले पराली जलाने के दर्ज किए गए हैं । वहीं हरियाणा में यह आंकड़ा केवल 1118 है, इन आंकड़ों के हिसाब से पंजाब में 8 गुना ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं ।
दिल्ली वायु प्रदूषण का मुख्य जिम्मेदार भी पंजाब है। वहां की सरकार इन कारणों को नियंत्रित करने में असफल हो रही है । दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सख़्त है, और दिल्ली में ग्रैप-4 लागू कर दिया गया है । दोषारोपण का कोई फायदा नहीं है केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार की सभी विभागों द्वारा मिलकर कार्य किया जा रहा हैं, ताकि किसी भी स्वास्थ्य समस्या से निपटा जा सके तथा किसी को कोई नुकसान न पहुँचे।
केंद्रीय प्रदूषण नियामक के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में Aqi(405) पहुंच गई है, वही मुंबई(140), नोएडा (302), लखनऊ(267) इन आकड़ो के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण स्तर भयावह स्थिति में पहुंच गया है। जहां लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और इसके और भी खतरनाक परिणाम आने वाले समय में मिल सकते हैं।